Short bedtime stories for kids

Short Stories for Kids :- बहुत समय पहले की बात हैं, एक गाँव में रमेश नाम का एक बहुत ही अच्छा मूर्तियाँ बनानेवाला मूर्तिकार रहता था | आस पास के सभी गाँव में रमेश के मूर्तियाँ बनाने के काम के चर्चे थे | उसक गाव में नए मंदिर का निर्माण हो रहा था और इस मंदिर के लिए एक सुन्दर मूर्ति की जरुरत थी | गांववालों ने मूर्ति बनाने का काम रमेश को सोप दिया | अब नयी मूर्ति बनाने के लिए रमेश को एक बड़े पत्थर की जरुरत थी इसीलिए रमेश जंगल में जाता है और एक अच्छा पत्थर लेकर आता हैं | घर आने के बाद रमेश उस पत्थर को से मूर्ति बनाने के लिए जैसे ही छैनी और हथौड़े से पहला प्रहार करता हैं अचानक उस पत्थर से आवाज आने लगाती हैं “रुको, रुको” मुझे हथौड़े से मत मारो मुझे बहुत दर्द हो रहा हैं | यह सुन कर रमेश चौंक जाता है लेकिन उसे कोई भी नजर नहीं आता । इसके बाद पत्थर पर फिर से प्रहार करने ही वाला होता है कि उसे दुबारा एक आवाज और सुनाई पड़ती है मुझे हथौड़े से मत मारो मुझे बहुत दर्द हो रहा हैं | तुम किसी और पत्थर से मूर्ति का निर्माण करो लेकिन मुझे जाने दो। यह सुन कर रमेश उस पत्थर को छोड़कर अन्य पत्थर की तलाश में निकल जाता है। उसे दूसरा पत्थर भी मिल जाता है और वो उस पत्थर को अपने घर लेकर आता है | इसके बाद, वह दूसरे पत्थर पर छैनी और हथौड़े से एक के बाद एक कई चोट करता है परन्तु पत्थर से कोई आवाज नही आती । कुछ समय बाद, मूर्ति बनाते हुए रमेश दूसरे पत्थर से पूँछता है कि क्या तुम्हें कोई दर्द नही हो रहा। दूसरा पत्थर कहता है कि मुझे दर्द जरुर हो रहा है लेकिन तुम अपना काम करते रहो मेरी पर्वाह मत करो में यह दर्द सह लूँगा । कुछ ही समय में एक सुंदर मूर्ति तैयार हो जाती है। जब गांववाले मूर्ति को लेने के लिए रमेश के पास आते है। तो रमेश द्वारा बनाई गयी वह मूर्ति बहुत पसंद आती है वह बहुत खुश हो जाते है। मूर्ति को अपने साथ मंदिर ले जाते समय गांववालों की नजर दूसरे पत्थर याने की जो छैनी और हथौड़े की चोट नहीं सह पाता था उस पर पड़ती है। और उस पत्थर को भी गाँव वाले अपने साथ ले जाते हैं और मंदिर के बाहर रखते हैं ताकि मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले सभी लोग अपने साथ लाये हुए नारियल को फोड़ सके | उस दिन के बाद सभी गाँव वाले मूर्ति की पूजा करते और उस सुन्दर मूर्ति को प्रणाम करते वही उस डरपोक पत्थर पर रोज नारियल फोड़ने के लिए लोग प्रहार करते और उस पत्थर को हररोज दर्द सहना पड़ता था | पहले पत्थर को मूर्ति बनने का मौका मिला था लेकिन दर्द को ना सहकर वह मौका गवा दिया और दुसरे पत्थर ने उसे मिले मौके का फायदा लिया और मूर्ति बना गया अब उसके जीवन में कई भी कष्ट नहीं रहा |
दोस्तों इस कहानी से हमें यह सिख मिलती हैं की जीवन में कष्ट किये बिना फल नहीं मिलाता ( “No Pain No Gain” )
आपको डरपोक पत्थर की कहानी – Two Stones Motivational Story In Hindi से क्या शिक्षा मिलती है आप हमे कमेंट बॉक्स में बता सकते है।
Short moral stories for kids
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that was informative peace of art ur article