अरशद वारसी आज एक कमिआब कलाकार के तोर पर जाने जाते है.
अरशद वारसी एक ऐसा नाम है जो अपनी कॉमेडी के लिए जाना जाता है। फिल्म मुन्नाभाई में निभाए गए सर्किट के किरदार ने उन्हें एक नई पहचान दी। उन्होंने कई फिल्मों में काम करके बॉलीवुड में अपनी जगह बनाई। अरशद ने अपने करियर की शुरुआत कोरियोग्राफर के रूप में की थी। उन्होंने फिल्म रूप की रानी चोरो का राजा के गाने को कोरियोग्राफ किया।
अरशद ने फिल्म बेताबी से अपने अभिनय की शुरुआत की, उसके बाद हीरो हिंदुस्तानी, होंगी प्यार की जीत, जानी दुश्मन, मैने प्यार क्यो किया, और मुन्नाभाई एमबीबीएस, मुन्ना माइकल और जॉली एलएलबी जैसी फिल्में की। आइए जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ खास बातें।
अरशद वारसी का जन्म 19 अप्रैल 1949 को मुंबई में हुआ था। उन्होंने 14 साल की उम्र में अपने माता-पिता को खो दिया था। उन्होंने अपनी पढ़ाई छोड़ दी और कॉस्मेटिक्स बेचना शुरू कर दिया। अरशद ने मुंबई की बस में नेल पॉलिश और लिपस्टिक भी बेची। बाद में अरशद एक डांस ग्रुप में शामिल हो गए।
अरशद के नृत्य कौशल के कारण, उन्हें बॉलीवुड में पहला ब्रेक मिला। 1991 में अरशद एक डांस ग्रुप चलाते थे। उन्हें मुंबई के सेंट जेवियर्स कॉलेज में जज के रूप में बुलाया गया था। उसी दौरान उनकी मुलाकात मारिया से हुई। मारिया प्रतियोगिता में भाग लेने आईं। पहली नजर में ही अरशद ने मारिया को अपना दिल दे दिया। अरशद ने मारिया को अपने डांस ग्रुप में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया। इस तरह मारिया ने अरशद की सहायता करना शुरू कर दिया। दोनों मिलने लगे।
अरशद के अनुसार, ‘मेरे दोस्तों ने मुझे बहुत बार बताया कि मारिया तुमसे प्यार करती है’। लेकिन जब भी अरशद कोई सवाल पूछते तो मारिया इनकार कर देती। वह अरशद को चाहती थी लेकिन उसे स्वीकार नहीं कर रही थी।
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अरशद ने एक इंटरव्यू में बताया कि हम दोनों एक बार दुबई टूर पर गए थे जब मैंने मारिया के कोल्ड ड्रिंक में बीयर मिलाई, तो मारिया को नशा हो गया और अपने प्यार का इजहार किया। शुरू में, मारिया का परिवार शादी के लिए तैयार नहीं था क्योंकि उनका मानना था कि फिल्म अभिनेताओं की शादी लंबे समय तक नहीं चलती है।
लेकिन आखिर में दोनों का परिवार सहमत हो गया। और 14 फरवरी वेलेंटाइन डे के दिन दोनों ने एक दूसरे से शादी कर ली। दोनों की शादी मुस्लिम और ईसाई रीति-रिवाजों के अनुसार हुई थी।
अरशद का शुरुआती हिंदी सिनेमा करियर बेहद संघर्षपूर्ण रहा। हिंदी सिनेमा में अभिनय करने का उनका पहला मौका अमिताभ बच्चन की कंपनी A.B.C.L. के फिल्म तेरे मेरे सपने से मिली। उन्होंने इसके बीच कई फिल्में कीं लेकिन वे हिंदी सिनेमा में कुछ खास नहीं कर सके।
अरशद को हिंदी सिनेमा में राजू हिरानी द्वारा निर्देशित फिल्म मुन्नाभाई एमबीबीएस के माध्यम से ही पहचान मिली। अरशद ने इस फिल्म में सर्किट की भूमिका निभाई। इस फिल्म में, वह संजय दत्त के दाहिने हाथ के रूप में दिखाई दिए।
इस फिल्म में उनके अभिनय को दर्शकों ने खूब पसंद किया। बाद में अरशद के डायलॉग्स पर चुटकुले भी बने। इसके बाद, वह एक बार फिर राजू हिरानी की फिल्म लगे रहो मुन्नाभाई में दिखाई दिए।
दोनों फिल्मों में उनके बेहतर प्रदर्शन के लिए अरशद को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था। राजू हिरानी की फिल्मों से प्रभावित होने के बाद, वह निर्देशक रोहित शेट्टी की गोलमाल सिरिस में भी दिखाई दिए। जिसमें उन्हें दर्शकों ने बेहद पसंद किया था।
अरशद न केवल कॉमेडी भूमिकाएँ निभाते हैं, बल्कि गंभीर भूमिकाएँ भी निभाते हैं। यह उन्होंने इश्किया और डेढ़ इश्किया फिल्मों में साबित किया। इन दोनों फिल्मों में उनकी भूमिका को आलोचकों और दर्शकों द्वारा खूब सराहा गया।
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