Pregnant Elephant Story in Hindi
Pregnant Elephant Story – कुछ दिनों पहले की बात हैं. जंगल में एक हाथनी रहती थी और उसके पेट में बच्चा था. उस हाथनी को बोहोत भूख लगी थी. वह हाथनी बोहोत दिनों से भूखी थी.
गर्भवती होने के कारण उसे बोहोत ज्यादा भूख लगी थी. खाने की तलाश में वह हाथनी एक गाँव में आ पहुंची. उस गाँव में उसे रास्तेपर एक अनानस पड़ा हुआ मिला. उस अनानस को देखकर हाथनी बोहोत जादा खुश हो गयी. उसे लगा की इस अनानस को खाकर वह अपनी भूख मिटा सकती है.
उसने तुरंत ही उस रास्ते पर पड़े हुए अनानस को उठा लिया और खाने के लिए अपने मुह में डाला. जैसे ही वह अनानस खाने लगी. अचानक एक जोरदार धमाका हाथनी की मुह में हुआ. इससे पहले की हाथनी कुछ समझ पाती उसका मुह बुरी तरह से जल चूका था.
मुह के जलने के कारण उसे बोहोत ज्यादा दर्द होने लगा और हाथनी जोर जोर से चिल्लाने लगी. वह हाथनी दर्द से तडफने लगी. क्या करे यह उसे समझ नहीं आ रहा था. बस वह चिल्लाये जा रही थी. उस मुह से खून बहता ही जा रहा था.
दर्द से तड़पने के कारण वह उस गाँव में इधर उधर भटकने लगी. अगर वह चाहती तो गुस्से में आकर उस गाँव के लोगों पर जानलेवा हमला भी कर सकती थी. लेकिन उसने ऐसा कुछ भी नहीं किया. वह सिर्फ अपने मुह के जलने से होने वाली दर्द से छुटकारा पाना चाहती थी.
उसका दर्द इतना बढ़ने लगा की अब उसे बरदाश करना मुश्किल हो गया था और उसके जख्मों पर मक्खियाँ बैठकर उसे और भी ज्यादा परेशान कर रही थी. इस सब से राहत पाने के लिए हाथनी उस गाँव के नदी के पानी में जा पहुंची.
उसे लगा की शायद नदी के पानी से शायद उसे कुछ आराम मिलेंगा. इसीलिए वह लगातार 3 से 4 दिनों तक उस नदीमे वैसे ही खड़ी थी. यह बात जब गाँव वालों को समझ में आयी तो उस हाथनी को पानी से बाहर निकालने के लिए वह दुसरे दो हाथियों को लेकर आये.
गाँव वालों को लगा की शायद दुसरे हाथियों को देखकर हाथनी पानीसे बाहर आ जाएँगी. लेकिन शायद हाथिनी यह बात समझ चुकी थी की अब उसका जिन्दा रहना मुश्किल है. लेकिन वह अपने बच्चे के साथ जीना चाहती थी. बच्चे के साथ खेलना चाहती थी. लेकिन अब यह सब मुन्क्किन नहीं है.
इसीलिए उस हाथिनी ने उस नदी में ही अपने प्राण त्याग दिए और जल समाधि ले ली. मनुष्य के स्वार्थ के कारण एक बेजुबा जानवर को अपनी जान खोनी पड़ी. उस हाथनी की कुछ भी गलती नहीं थी. उसने तो सिर्फ मनुष्योंपर भरोसा किया और उस अनानस को खाया था.
हम इनसानों ने बेजुबा जानवरों के साथ अन्याय नहीं करना चाहिए क्योंकि तकलीफ जानवरों को भी होती है. हम अपना दर्द बता सकते हैं लेकिन बेजुबा जानवर अपना दर्द किसीको भी नहीं बता सकते.
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